मैट्रो रेल से अब नहीं होगा शोर, पडोसी भी नहीं होंगे तंग, अच्छी सोच सेवा के लिए बधाई ।
मेट्रो रेल लाइन के पड़ोस में बसे घरों को शोर-शराबे से बचाने और उनकी प्राइवेसी को बरकरार रखने के लिए दिल्ली मेट्रो नई कवायद में जुट गया है। शुरुआत केंदीय सचिवालय-बदरपुर मेट्रो लाइन से की जा रही है। इस लाइन के ऐलिवेटिड हिस्से में ऐसे इंतजाम किए जाएंगे, ताकि मेट्रो लाइन के आसपास बसे घरों को मेट्रो की वजह से किसी तरह की डिस्टर्बेंस न हो। इसके लिए विशेषज्ञ एजंसियों की मदद ली जा है। एक एजंसी ने मेट्रो को ऐसी टाइल लगाने की सलाह दी है, जिससे मेट्रो का शोर मेट्रो लाइन के बाहर कम से कम जाए। दरअसल, दिल्ली मेट्रो की यह पहली लाइन थी, जिसे बनाने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया। लोगों को आपत्ति थी कि उनके घर के पास मेट्रो लाइन बनने से शोर होगा और ऊपर की मंजिलों में रहने वाले लोगों की प्रिवेसी भी डिस्टर्ब होगी क्योंकि पैसिंजर आसानी से उनके घर में झांक सकेंगे। कंपन से उनके मकानों को खतरा हो सकता है। मसला अदालत तक भी गया और राजनीतिक गलियारों में भी गूंजा। नतीजतन, इस लाइन के एलिवेटिड हिस्से का निर्माण देरी से शुरू हुआ। अब दिल्ली मेट्रो ने स्थानीय लोगों से वादा किया है कि मेट्रो लाइन बनने के साथ उनकी इन आपत्तियों को दूर करने की कोशिश करेगी। दिल्ली मेट्रो ने बाकायदा इसके लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के एक्सर्पट्स की मदद लेने का फैसला किया है। दिल्ली मेट्रो के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनुज दयाल के मुताबिक, सीआरआरआई के एक्सपर्ट स्टडी में जुट गए हैं। नैशनल फिजिकल लैब (एनपीएल) के ऐक्सपर्ट्स की भी राय ली जा रही है। ऐक्सपर्ट्स ने मेट्रो को लाइन पर कुछ खास तरह की टाइल्स लगाने की सलाह दी है, जिससे शोर मेट्रो लाइन की बाउंड्री से बाहर तक बेहद कम जाता है। यह स्टडी भी चल रही है कि मेट्रो लाइन के किनारे दीवार बनाई जाए या फिर ऐसा इंतजाम किया जाए, ताकि मेट्रो के पैसिंजरों को बाहर के ये मकान दिखें ही नहीं। लगभग चार हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही यह मेट्रो रेल लाइन अगले साल तक चालू होने की उम्मीद है।
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