Tuesday, February 17, 2009
केवल रेल क्लेम पाने के लिए किया नाटक, वाह रे लालू क्या, क्या होगा तेरे राज में
होडल के पास चलती ट्रेन से एक ही परिवार के चार लोगों को धक्का देने के मामले में सोमवार को एक नया मोड़ आ गया। जीआरपी के आईजी के. के. मिश्रा ने कहा कि परिजनों ने यह पूरा नाटक सिर्फ क्लेम पाने के लिए किया है। हालांकि अब भी इस मामले में जीआरपी को कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। आईजी ने आगे कहा कि इस मामले में कार्रवाई आगे बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं होती। घटना दस फरवरी की है। होडल के निकट एक ट्रेन में सवार एक परिवार के चार लोगों को कुछ युवकों ने धक्का दे दिया। परिवार मुरैना का रहने वाला है। घटना में महिला शशि, पति मुरारी, एक वर्षीय अमन और चार वर्षीय शिवानी घायल हो गए। बाद में अमन की एम्स में मौत हो गई। मुरारी ने घटना के दिन बीके अस्पताल में पत्रकारों को बताया कि ट्रेन में शशि के साथ कुछ युवक छेड़खानी कर रहे थे। विरोध करने पर युवकों ने पूरे परिवार को धक्का दे दिया, लेकिन अगले ही दिन जीआरपी ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि परिवार गलती से इंटरसिटी के आरक्षित बोगी में चढ़ गया था। टीटी ने जब उन्हें डिब्बा चेंज करने को कहा तो वह होडल आउटर पर ट्रेन के रुकते ही डिब्बा बदलने लगे। लेकिन ट्रेन चल पड़ी और वह जख्मी हो गए। परिवार को रातोंरात बीके से सफदरजंग शिफ्ट कर दिया गया। जीआरपी के डीएसपी राममेहर से जब पूछा गया तो उन्होंने ट्रेन के रुकने की वजह सिग्नल न मिलने को बताया जबकि घटना के बाद डीएसपी नील गाय के आगे आने की वजह से ट्रेन रुकने की बात कह रहे थे। पुलिस महानिरीक्षक के. के. मिश्रा ने बताया कि इस मामले में सफर करने वाले परिवार तक को ट्रेन का नाम नहीं पता है। परिवार के पास दादर एक्सप्रेस का टिकिट था, लेकिन वह किसी और ट्रेन में सवार हो गया। उन्होंने कहा कि जीआरपी ने व्यक्ति से समय पूछकर अंदाज में इंटरसिटी बताया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि परिवार ने यह पूरा ड्रामा रेलवे क्लेम पाने के लिए किया था। इसके बावजूद जीआरपी ने परिवार का पूरा इलाज करवाया और अपने खर्च पर उन्हें घर छोड़कर आए। हालांकि मीडिया के कई सवालों से वह भी बच निकले। आगे की कार्रवाई के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप ही बताएं कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जा सकती है।
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