दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने 35 किलोमीटर लंबी चार और लाइनों को तीसरे फेज में शामिल करने की तैयारी कर ली है। इनमें से दो लाइनें तो बिल्कुल नई हैं, जबकि बाकी दो की पहले ही डिटेल प्रॉजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो चुकी है। फेज थ्री के लिए मेट्रो पहले ही 85 किमी की लाइनों का प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेज चुकी है। अगर इन सभी लाइनों को दिल्ली सरकार अपनी मंजूरी दे देती है तो तीसरे फेज में दिल्ली मेट्रो 120 किमी लंबी लाइनों का निर्माण करेगी। सूत्रों का कहना है कि तीसरे फेज के लिए जिन चार और लाइनों को शामिल करने की तैयारी हो रही है, उनमें रिठाला से बरवाला (6 किमी), आश्रम से जसोला (5 किमी), मुंडका से बहादुरगढ़ (10 किमी) और बदरपुर से फरीदाबाद (14 किमी) हैं। बदरपुर से फरीदाबाद लाइन के लिए तो डीपीआर तैयार होने के अलावा निर्माण की तैयारियों से जुड़े बाकी पहलुओं पर भी काम हो चुका है। पहले इस लाइन को दूसरे फेज के बीच में ही शुरू करने की योजना थी, लेकिन दिल्ली सरकार से मंजूरी न मिलने की वजह से अब इसे तीसरे फेज में शामिल किया गया है। हरियाणा के शहरों को जोड़ने के लिए तीसरे फेज में मुंडका-बहादुरगढ़ लाइन को भी तीसरे फेज में रखा गया है। दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों का कहना है कि इंदलोक से मुंडका तक की मेट्रो रेल लाइन इसी साल के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक रिठाला से बरवाला लाइन को जोड़ने का मकसद यह है कि रोहिणी से आगे के हिस्सों को भी दिल्ली से सीधे कनेक्ट किया जाए। लाइन को बरवाला तक ले जाने की योजना पहले फेज में ही थी, लेकिन उस वक्त वहां आबादी इतनी नहीं थी कि मेट्रो को पर्याप्त पैसिंजर मिलते। तब इस योजना रद्द करके उसकी जगह बाराखंभा रोड लाइन का इंदप्रस्थ तक विस्तार कर दिया गया था। चौथी लाइन आश्रम से जसोला के बीच बनाई जाएगी। इस लाइन को इस तरह से बनाया जाएगा कि यह बदरपुर लाइन से भी जुड़ जाए। भले ही यह लाइन 5 किमी की होगी लेकिन पूरा इलाका मेट्रो नेटवर्क से जुड़ जाएगा। इससे पहले जिन सात लाइनों का प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजा गया था, उनमें गाजीपुर से धौला कुआं, मुकुंदपुर से शिवाजी पार्क, नोएडा सेक्टर 18 से एनएच-8, अशोक पार्क से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, केंद्रीय सचिवालय से कश्मीरी गेट, शिव विहार से यमुना बैंक और जहांगीरपुरी से बादली लाइन शामिल है। दिल्ली मेट्रो की इच्छा है कि उसे तीसरे फेज की लाइनों के लिए जल्द मंजूरी मिल जाए, ताकि जिस मशीनरी का इस्तेमाल दूसरे फेज के लिए किया जा रहा है, उसी मशीनरी का इस्तेमाल तीसरे फेज की लाइनों के लिए भी किया जा सके। अगर मंजूरी में देरी होती है तो भारी भरकम मशीनरी वापस चली जाएगी। तब मेट्रो को इसी मशीनरी को लाने-ले जाने पर काफी पैसा खर्च करना पड़ेगा, साथ ही निर्माण में भी ज्यादा वक्त लगेगा।
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