एक छोटी सी चिड़िया ने भारतीय रेलवे की न केवल लापरवाही की पोल खोली, बल्कि उसे घंटों नाकों चने भी चबवाए। ओएचई फेल होने की पूरी कारस्तानी इसी चिड़िया की थी। दरअसल, इस चिड़िया ने घटनास्थल पर एक घोंसला बनाया हुआ था। जिसके लिए वह कहीं से एक तार ले आई थी। इस तार से ओएचई को अर्थिंग मिली और धमाका हो गया। मौके पर ओएचई ठीक करने आए टेक्निकल स्टाफ ने एनबीटी के सामने इस बात का खुलासा किया। हालांकि, डीआरएम बी. डी. गर्ग का कहना है कि घटना के कारणों की गहन जांच हो रही है। यह चिडि़या ओएचई पर अपने घोंसले के लिए तिनके इकट्ठे कर रही थी। मौके पर मौजूद टेक्निकल स्टाफ के अनुसार घटनास्थल पर इस चिड़िया के घोंसले के साथ एक बिजली की तार का टुकड़ा भी मिला है। यह चिड़िया तिनकों के साथ इस तार को भी ले आई। जिसकी वजह से ओएचई को अर्थिंग मिल गई। सुबह हुई बरसात की वजह से तार ने दो तारों को कनेक्ट किया और नतीजा तेज धमाका। प्रत्यक्षदशिर्यों के अनुसार घटनास्थल पर उन्होंने जोरदार धमाका सुना जिसकी वजह से उन्हें पहले तो कुछ बम फटने या सिलिंडर फटने का आभास हुआ, लेकिन बाद में माजरा समझ में आ गया। टेक्निकल स्टाफ ने ओएचई से घोंसला हटाकर तार अपने कब्जे में ले लिया। इस घटनाक्रम ने ओएचई की मेंटिनेंस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। ओएचई पर चिडि़या घोंसला बनाती रही और किसी को इसकी भनक तक नहीं हुई, जबकि रेलवे के गैंगमेन प्रतिदिन रेलवे ट्रैक और ओएचई का मुआयना करते हैं और ऐसी स्थिति से रेलवे को अवगत कराते हैं। अभी कुछ महीने पूर्व ही कुलियों को गैंगमेन बनाया गया है। इसके बावजूद, इस तरह की घटनाएं रेलवे की खामियों को उजागर कर रही हैं। हो सकता था बड़ा हादसा यदि मेवाड़ एक्सपेस उस समय हाई स्पीड में होती, तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। यह ट्रेन घटनास्थल से कुछ ही दूर थी। चंद मिनटों के फासले ने इस ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा लिया। इस ट्रेन का स्टॉपेज बल्लभगढ़ में है। यहां रोकने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक लगाए ही थे कि यह हादसा हो गया। यदि ड्राइवर को ब्रेक लगाने में एक मिनट की भी देरी हुई होती, तो ट्रेन अचानक पावर न मिलने के कारण दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकती थी। रेलवे टेक्निशियंस के अनुसार यदि अचानक हाई स्पीड ट्रेनों को पावर मिलना बंद हो जाए, तो ट्रेन पटरी से उतरने के साथ पलट भी सकती है।
Saturday, July 4, 2009
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