आर्थिक तौर पर संकट में फंसी रेलवे यात्री किराए और मालभाड़े
के अलावा दूसरे किन रास्तों से पैसा जुटा सकता है, इसका पता लगाने के लिए रेलमंत्री
सुरेश प्रभु ने सोमवार को एक टास्क फोर्स बनाने का ऐलान कर दिया। इस टॉस्क फोर्स
से कहा गया है कि वह इस बात का पता लगाए कि किस तरह से वैगन, कोच, ट्रेन, रेलवे स्टेशनों और अन्य रास्तों
से पैसा जुटाया जा सकता है। इस टास्क फोर्स से कहा गया है कि वह 26 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट दे।
इंडियन रेलवे के सूत्रों के
मुताबिक चूंकि अगले साल के फरवरी में रेल बजट पेश किया जाना है इसलिए रेलमंत्री
चाहते हैं कि इससे पहले ही उन विकल्पों को तलाश लिया जाए, जिनके जरिए रेलवे की आमदनी हो सके
ताकि वे बजट में इसका प्रावधान कर सकें। इस टास्क फोर्स के मुखिया रेलवे बोर्ड के
सदस्य ट्रैफिक होंगे, जबकि बोर्ड
के एडवाइजर (फाइनैंस), जनरल
मैनेजर (सेंट्रल रेलवे), एडवाइजर
(इंफ्रास्ट्रक्चर), राइटस के
सीएमडी और आईआरसीटीसी के एमडी शामिल हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि
रेलमंत्री लगातार आमदनी के वैकल्पिक स्त्रोतों पर जोर दे रहे हैं ताकि किराए और
मालभाड़े से होने वाली आमदनी पर ही निर्भर न रहे। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि
फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां ही वेबसाइट के जरिए पैसा कमाती हैं जबकि रेलवे की
आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर तो फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से भी कई गुणा ज्यादा हिट
होते हैं यानी उन्हें देखते हैं।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि रेलमंत्री के
निर्देश पर वाइट पेपर तैयार किया जा रहा है। वाइट पेपर में मर्ज के साथ यह भी
बताया जाएगा कि रेलवे के सामने किस तरह की चुनौतियां हैं। इसके बाद ही रेलवे को
सुधारने का प्लान पेश किया जा सकता है। यह प्लान तीन से पांच साल का हो सकता है।
रेलमंत्री ने रेलवे को निर्देश
दिए हैं कि वह स्टेशनों, प्लेटफार्म
और कोच की सफाई के लिए इंटीग्रेटेड पॉलिसी तैयार करे। इस पालिसी में ऐसी व्यवस्था
हो कि सफाई बेहतर हो सके और पॉलिसी में जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
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