Wednesday, October 21, 2009

ऐसा कहना है हादसे के वक्त मेवाड़ एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे पैसिंजर भगवान का।

'हमारी ट्रेन मथुरा स्टेशन से निकलकर कुछ ही दूर चली थी कि अचानक उसके पहियों की गति थम गई। ट्रेन रुकने के 5 मिनट बाद ऐसा लगा कि पीछे से ट्रेन में धक्का लगा है। कुछ ही सेकंड बाद जोर का झटका महसूस हुआ। जब होश आया, तो देखा हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी।' ऐसा कहना है हादसे के वक्त मेवाड़ एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे पैसिंजर भगवान का। हादसे के मंजर को याद करते हुए उन्होंने आपबीती कुछ इस तरह बयां की। 'एक पल के लिए कुछ समझ में नहीं आया। जब ट्रेन से बाहर निकला, तो देखा कि लेडीज बोगी के परखचे उड़ गए हैं। उसमें मेरी बहन और उसके दोनों बच्चे बैठे थे। भीड़ ने बोगी को घेर रखा था और खिड़कियां काट-काटकर लोगों को बाहर निकाल रहे थे। बहन और उसके बच्चों का ख्याल आते ही कुछ पल के लिए मेरी सांसें अटक गईं। अपने आप को संभाला, तो ऐसा लगा कि हाथ-पैरों में जान ही नहीं बची है। मैं कांपने लगा...।' भगवान ने बताया, मेरी बहन बन्नास, अपने 7 साल के बेटे अभिषेक और 5 साल की बेटी सोनम के साथ भाईदूज मनाने राजस्थान में करौली स्थित मेरे घर आई थी। मंगलवार को मैं उन्हें दिल्ली पहुंचाने आ रहा था। हम लोग श्री महावीर स्टेशन से ट्रेन पर चढ़े थे। बहन और बच्चे लेडीज बोगी में बैठे और मैं पांचवीं बोगी में बैठा था। भगवान के जीजा और दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल मुकेश ने बताया कि मेरे पास सुबह 6 बजे फोन आया कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। एम्स में काम करने वाले अपने एक दोस्त की सलाह पर किराए की गाड़ी लेकर मैं तुरंत मथुरा के लिए निकल गया। वहां जाकर देखा तो पत्नी और दोनों बच्चे घायल थे और उन्हें फर्स्ट एड दी गई थी। वहां से लाकर मैंने उन्हें एम्स में भर्ती कराया। तीनों घायलों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि बन्नास और अभिषेक को सिर में चोट आई है और उनके पैरों का मांस बुरी तरह फट गया है। उसमें कंकड़ घुस गए हैं, जिन्हें साफ करना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके बाद ही इन्फेक्शन के लेवल का पता लगेगा। दोनों का सीटी स्कैन किया गया है, बाकी टेस्ट भी किए जा रहे हैं। सोनम के लोअर लिंब में फ्रैक्चर का अंदेशा है। हालांकि तीनों को होश आ गया है पर हादसे ने उन्हें बदहवास कर दिया है और चोट के कारण तो वे बोलने की हालत में भी नहीं हैं। मुकेश का कहना है कि एम्स पहुंचने के बाद जब बन्नास को होश आया, तो उसी से मुझे पता लगा कि बोगी में सामने वाली सीटों पर भी दिल्ली पुलिस के ही किसी जवान का परिवार बैठा था और हादसे में सबकी जान चली गई है।

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