बढ़ते अपराधों से निपटने के लिए रेलवे टेरिटोरियल आर्मी (आरटीए) के जवानों को अब सेना ट्रेनिंग देगी। अपनी तरह की इस नई पहल के तहत रक्षा मंत्रालय और रेल मंत्रालय मिलकर एक मॉडर्न इंस्टिट्यूट बनाएगा। रेल मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, यह इंस्टिट्यूट 5 करोड़ रुपये की लागत से झांसी में तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है। इस इंस्टिट्यूट में आरटीए के 6,000 जवानों को सेना ट्रेनिंग देगी। उल्लेखनीय है कि रेल ट्रांसपोर्टेशन के रखरखाव और दंगों आदि स्थितियों में रेल संचार कायम रखने के लिए 1949 में सहायक बल के रूप में आरटीए का गठन किया गया था। अपराधों के बदलते स्वरूप और हाल के दिनों में देश के विभिन्न इलाकों में आतंकवादी हमलों के मद्देनजर आरटीए के जवानों को नई तकनीक से लैस किया जाएगा और उन्हें मॉडर्न ट्रेनिंग दी जाएगी। इस प्रस्तावित मॉडर्न ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में आधुनिक हथियार और गैजेट्स भी होंगे। जवानों को बेसिक ट्रेनिंग मुहैया कराने के अलावा नई किस्म के अपराधों से निपटने के लिए अडवांस्ड ट्रेनिंग दी जाएगी। इस इंस्टिट्यूट में आपदा प्रबंधन के लिए स्पेशल कोर्स भी होंगे। सूत्रों ने बताया कि सेना जब कभी जरूरत महसूस करेगी, वह आरटीए जवानों की सेवाएं ले सकेगी। फिलहाल कोटा, चंडीगढ़, हैदराबाद, जमालपुर (झारखंड), झांसी और आदरा (पश्चिम बंगाल) में आरटीए के 6,000 जवान हैं। उम्मीद है कि यह इंस्टिट्यूट अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगा। इन जवानों की ट्रेनिंग पर हर साल लगभग दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसे रेल मंत्रालय वहन करेगा
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