मुंबई
के लिए एक-एक बर्थ की मारामारी के बावजूद दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे मुख्यालय के
वाणिज्य विभाग के अफसरों की लापरवाही से रविवार को लोकमान्य तिलक एसी स्पेशल (02112) खाली चली गई। ट्रेन में एसी क्लास
की 900 में 894 बर्थ खाली रह जाने से जहां रेलवे
को करीब 16 लाख रुपये का नुकसान हुआ, वहीं मुंबई की अन्य ट्रेनों में
लंबी वेटिंग होने के कारण तमाम यात्री खड़े-खड़े गए और कई लोगों को यात्रा तक
स्थगित करनी पड़ गई। अफसरों की लापरवाही का यह आलम रहा कि लखनऊ-एलटीटी ऐसी स्पेशल
का रविवार दोपहर 01:10 बजे
रिजर्वेशन खोला गया जबकि इसके छूटने का समय शाम 04:20 बजे था।
अगर
किसी पैसेंजर को मुंबई जाना है तो उसे 120 दिन
पहले ही कन्फर्म टिकट मिल पा रहा है। इसके अलावा कन्फर्म टिकट लेना है तो तत्काल
टिकट लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वह भी रात से ही कतार में लगने वालों को
ही बड़ी मुश्किल से नसीब हो पाता है। यह बात सभी रेल अफसरों को अच्छी तरह पता है।
उत्तर रेलवे मुख्यालय के वाणिज्य विभाग के अफसरों ने शनिवार को मुंबई से यह ट्रेन
(02111) चलने के बावजूद लखनऊ से इस ट्रेन
का आरक्षण नहीं खोला। दिल्ली के सीसीएम (पीएम) के यहां लखनऊ मंडल के अफसर ट्रेन का
रिजर्वेशन खुलवाने के लिए हाथ-पैर मारते रहे, लेकिन
दिल्ली के अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। अफसरों ने रविवार दोपहर 01:10 बजे जब इसका आरक्षण खोला तो चार्ट
बनने का समय हो चुका था। कुछ देर ही बुकिंग हुई उसके बाद ट्रेन का चार्ट बना दिया
गया। हालांकि ट्रेन के मुंबई से आने की जानकारी पाकर सीनियर डीसीएम अश्विनी
श्रीवास्तव ने दोपहर सवा बजे से ही चारबाग स्टेशन और लखनऊ जंक्शन पर ट्रेन में
सीटें खाली होने का अनाउंसमेंट शुरू करा दिया। रविवार की वजह से रिजर्वेशन सेंटर
पर दो बजे ही रिजर्वेशन बंद हो गया, जिससे
रिजर्वेशन नहीं हो सका। मुंबई
स्पेशल की 894
बर्थ खाली रह जाने से
रेलवे को 15,67,880
रुपये का नुकसान भी
हुआ। ट्रेन का चार्ट बनने के बाद फर्स्ट एसी में 24 बर्थ खाली थीं। लखनऊ से मुंबई का फर्स्ट एसी का किराया 3895 रुपये है। इस तरह 93,480 रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, सेकंड एसी की 155 सीटें खाली थीं। एक यात्री का
किराया 2270 रुपये है, जिसके हिसाब से 3,51,850 रुपये का नुकसान हुआ। थर्ड एसी की 715 सीटें खाली होने से प्रति बर्थ 1570 रुपये के हिसाब से 11,22,550 रुपये का नुकसान हुआ।
जब
किसी स्पेशल या नई ट्रेन के चलाने की घोषणा होती है तो इसकी जानकारी चीफ कमर्शल
मैनेजर (सीसीएम पीएम) के यहां भेजी जाती है। उसके बाद उनके कार्यालय से क्रिस
(सेंटर फॉर रेलवे इंफर्मेशन सिस्टम) के जरिए ट्रेन का रिजर्वेशन खोलने की फीडिंग
कराई जाती है। इसके बाद ऑनलाइन और ऑफलाइन रिजर्वेशन होने लगता है। इस मामले में
जिम्मेदार अफसरों ने पीआरएस सिस्टम में गाड़ी की फीडिंग ही नहीं कराई।
''मुंबई
की ट्रेन में सैकड़ों सीटें खाली रह जाएं, यह
घोर लापरवाही है। जीएम से मांग की गई है कि मामले की जांच कराकर दोषी अफसरों के
वेतन से रेलवे को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।''
No comments:
Post a Comment