Friday, November 6, 2015

रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में साफ-सफाई- सौहार्द की गंगा-जमुनी तहजीब

देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच रेलवे ने साफ-सफाई के मामले में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को साफ-सुथरा बनाए रखने में जिस तरह विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने मिल-जुलकर कार्य किया है उससे रेलमंत्री सुरेश प्रभु खासा प्रभावित हैं। उन्होंने इसकी सराहना की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का सबसे ज्यादा असर अगर कहीं दिखाई देता है तो वह शायद रेलवे में। पिछले एक साल में रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में साफ-सफाई के स्तर में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लेकिन इसमें रेलकर्मियों से ज्यादा जन प्रतिनिधियों, निजी प्रतिष्ठानों और धार्मिक व सामाजिक स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका है। खासकर धार्मिक संगठनों ने अभियान के जरिए सामाजिक सौहार्द की गंगा-जमुनी तहजीब पेश की है।
इन धार्मिक संगठनों में हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई समेत सभी समुदायों से जुड़े लोग शामिल हैं। उदाहरण के लिए जहां महाराष्ट्र में कर्मयोगी प्रतिष्ठान के लोगों को मुंबई के किंग्स सर्किल स्टेशन की सफाई का जिम्मा लेते देखा गया है। वहीं संत निरंकारी चेरिटेबल फाउंडेशन के लोगों को कानपुर, मथुरा, पुणे जैसे स्टेशनों में सफाई करते पाया जाता है।
केरल में ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग कभी-कभी स्टेशनों व ट्रेनों को चमकाते देखे जा सकते हैं। जबकि गुरदासपुर स्टेशन की सफाई में मुसलिम संगठनों की भूमिका भी देखी गई है। गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा से जुड़े लोग राजस्थान में अजमेर अथवा हरियाणा में हिसार जैसे स्टेशनों पर अक्सर झाड़ू लगाते देखे जाते हैं।
रेलमंत्री का गृह प्रदेश होने के नाते महाराष्ट्र में सांप्रदायिक सौहार्द के इस स्वच्छ स्वरूप की झलक मध्य रेलवे के 29 और पश्चिम रेलवे के 11 स्टेशनों में देखी जा सकती है। यहां रोटरी इंटरनेशनल से लेकर विद्यासागर इंस्टीट्यूट जैसे अनेक शैक्षिक प्रतिष्ठान सफाई से जुड़े हुए हैं।
गुजरात के वडोदरा में सेवादल के स्वयंसेवकों को भी कभी-कभार रेलवे स्टेशनों की सफाई करते देखा जा सकता है। दूसरी ओर महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली जैसे संपन्न राज्यों में निजी कंपनियों के ट्रस्ट अस्वच्छ छवि से निजात दिलाने में रेलवे की मदद कर रहे हैं।

रेलमंत्री सुरेश प्रभु के अनुसार इन संगठनों की भूमिका भले ही रेलवे के सफाईकर्मियों की तरह दैनिक व नियमित न हो। लेकिन ये लगभग हर माह किसी न किसी स्टेशन या ट्रेन में पहुंचते हैं और पूरी श्रद्धा और लगन के साथ सफाई को अंजाम देते हैं। इनके समर्पण से रेलकर्मियों में भी उत्साह बढ़ा है।

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