शहर में महिलाओं की सुरक्षा के भले ही तमाम दावे
किए जाते हों लेकिन हकीकत दावों से कोसों दूर है। बस, सड़क, मार्केट के साथ
ही ट्रेन में भी महिलाएं सेफ नहीं हैं। लोकल ट्रेन में सफर कर महिलाओं की सुरक्षा
का जायजा :
बुधवार को 8 बजकर 25 मिनट पर मैं ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंची। सबसे पहले मैं एनआईटी की ओर बने काउंटर पर टिकट लेने गई। टिकट लेने के बाद मैं प्लैटफॉर्म नंबर 1 पर पहुंची तो पता चला पलवल से चलकर गाजियाबाद की ओर जाने वाली ट्रेन प्लैटफॉर्म नंबर दो पर आएगी। उसके बाद मैं पुल से प्लैटफॉर्म नंबर दो जा ही रही थी कि कुछ लड़कों ने कमेंट करना शुरू कर दिया। ट्रेन लेट होने की वजह से मैं पुल के ऊपर ही साइड में खड़ी हो गई। जो लड़के प्लैटफॉर्म पर खड़े थे, वे भी पुल के ऊपर आकर कमेंट करने लगे। करीब 9 बजकर 3 मिनट पर गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन आई। ट्रेन रुकने के बाद जैसे तैसे मैं महिला डिब्बे में चढ़ गई। कई लड़के भी महिला कोच में चढ़ गए। ट्रेन चलने के बाद वे महिला डिब्बे के गेट पर ही खड़े हो गए। वे लड़कियों को देखकर कमेंट कर रहे थे। 9 बजकर 15 मिनट पर ट्रेन तुगलकाबाद स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन चलते ही लड़कों ने जोर जोर से हूटिंग शुरू कर दी। ट्रेन 9 बजकर 25 मिनट पर ओखला रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई और मैं उतर गई।
करीब साढ़े 9 बजे मैं ओखला के रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म नंबर दो से पुल के जरिए प्लैटफॉर्म तीन पर पहुंची। पुल की सीढ़ियों पर बैठे कुछ युवक आने जाने वाली लड़की को देखकर कमेंट कर रहे थे। ओखला रेलवे स्टेशन कोई पुलिसकर्मी नहीं था। करीब 9 बजकर 40 मिनट पर ओल्ड फरीदाबाद जाने वाली ट्रेन आ गई। इस महिला डिब्बे की बजाए जनरल डिब्बे मैं बैठ गई। ट्रेन में मेरे पीछे कुछ युवक चढ़ गए। मैं खिड़की वाली सीट पर जाकर बैठ गई। पूरा डिब्बा खाली होने के बावजूद वे लड़के मेरी वाली सीट पर ही बैठने के लिए आ गए। एक लड़का मुझे पूछने लगा कि आप जॉब करती हो या कॉलेज में पढ़ाई। मैंने उन्हें अनसुना कर दिया। तुगलकाबाद तक वे लड़के कमेंट करते रहे। 9 बजकर 53 मिनट पर ट्रेन तुगलकाबाद स्टेशन पर पहुंच गई। एक मिनट के बाद जब ट्रेन चलने लगी तो उन लड़कों ने फिर कमेंट करना शुरू कर दिया। इस पूरे सफर के दौरान मुझे कोई पुलिसकर्मी नहीं दिखा। करीब 10 बजकर 7 मिनट पर ट्रेन ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंची और मैं ट्रेन से उतर गई।
बुधवार को 8 बजकर 25 मिनट पर मैं ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंची। सबसे पहले मैं एनआईटी की ओर बने काउंटर पर टिकट लेने गई। टिकट लेने के बाद मैं प्लैटफॉर्म नंबर 1 पर पहुंची तो पता चला पलवल से चलकर गाजियाबाद की ओर जाने वाली ट्रेन प्लैटफॉर्म नंबर दो पर आएगी। उसके बाद मैं पुल से प्लैटफॉर्म नंबर दो जा ही रही थी कि कुछ लड़कों ने कमेंट करना शुरू कर दिया। ट्रेन लेट होने की वजह से मैं पुल के ऊपर ही साइड में खड़ी हो गई। जो लड़के प्लैटफॉर्म पर खड़े थे, वे भी पुल के ऊपर आकर कमेंट करने लगे। करीब 9 बजकर 3 मिनट पर गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन आई। ट्रेन रुकने के बाद जैसे तैसे मैं महिला डिब्बे में चढ़ गई। कई लड़के भी महिला कोच में चढ़ गए। ट्रेन चलने के बाद वे महिला डिब्बे के गेट पर ही खड़े हो गए। वे लड़कियों को देखकर कमेंट कर रहे थे। 9 बजकर 15 मिनट पर ट्रेन तुगलकाबाद स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन चलते ही लड़कों ने जोर जोर से हूटिंग शुरू कर दी। ट्रेन 9 बजकर 25 मिनट पर ओखला रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई और मैं उतर गई।
करीब साढ़े 9 बजे मैं ओखला के रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म नंबर दो से पुल के जरिए प्लैटफॉर्म तीन पर पहुंची। पुल की सीढ़ियों पर बैठे कुछ युवक आने जाने वाली लड़की को देखकर कमेंट कर रहे थे। ओखला रेलवे स्टेशन कोई पुलिसकर्मी नहीं था। करीब 9 बजकर 40 मिनट पर ओल्ड फरीदाबाद जाने वाली ट्रेन आ गई। इस महिला डिब्बे की बजाए जनरल डिब्बे मैं बैठ गई। ट्रेन में मेरे पीछे कुछ युवक चढ़ गए। मैं खिड़की वाली सीट पर जाकर बैठ गई। पूरा डिब्बा खाली होने के बावजूद वे लड़के मेरी वाली सीट पर ही बैठने के लिए आ गए। एक लड़का मुझे पूछने लगा कि आप जॉब करती हो या कॉलेज में पढ़ाई। मैंने उन्हें अनसुना कर दिया। तुगलकाबाद तक वे लड़के कमेंट करते रहे। 9 बजकर 53 मिनट पर ट्रेन तुगलकाबाद स्टेशन पर पहुंच गई। एक मिनट के बाद जब ट्रेन चलने लगी तो उन लड़कों ने फिर कमेंट करना शुरू कर दिया। इस पूरे सफर के दौरान मुझे कोई पुलिसकर्मी नहीं दिखा। करीब 10 बजकर 7 मिनट पर ट्रेन ओल्ड फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंची और मैं ट्रेन से उतर गई।
ऐसी शिकायतें पहले भी आ चुकी हैं। इनको देखते हुए मैंने महिला कॉन्स्टेबल की मांग की है। उम्मीद है कि जल्दही दो से तीन महिला कॉन्स्टेबल मिल जाएंगी। उन्हें सादी वर्दी में मनचलों को पकड़ने के लिए तैनात कियाजाएगा।
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