दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट इरा की खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा , जब उन्होंने पहली बार नोएडा से यूनिवर्सिटी जाने के लिए मेट्रो पकड़ी , लेकिन थोड़ी ही देर में उनकी खुशी काफूर हो गई। पूरी ट्रेन में इतना रश था कि वह सैंडविच बन कर रह गईं। राजीव चौक पर मानो भीड़ ने उन्हें खुद - ब - खुद ट्रेन से बाहर धकेल दिया। इरा कहती हैं , ' काश ! मेट्रो में लेडीज के लिए अलग डिब्बा होता !' मेट्रो में रोजाना सफर करनेवाली बहुत - सी महिलाओं का कहना है कि इसमें भी लोकल ट्रेनों की तरह लेडीज स्पेशल कंपार्टमेंट होना चाहिए। दिल्ली मेट्रो का कहना है कि फिलहाल इस तरह की कोई योजना नहीं है , लेकिन जरूरत पड़ी और तकनीकी रूप से मुमकिन हुआ तो मेट्रो में लेडीज स्पेशल कंपार्टमेंट शुरू करने के बारे में सोचा जा सकता है। मेट्रो के कुछ रूटों पर भारी भीड़ उमड़ रही है , खासकर सुबह - शाम को पीक आवर्स में। नोएडा - द्वारका , राजीव चौक - कश्मीरी गेट और जहांगीरपुरी - कनॉट प्लेस जैसे रूटों पर अक्सर मेट्रो इस कदर भरी हुई होती है कि उसमें चढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। इन दिनों ट्रेड फेयर की वजह से हालत और बुरी हो गई है। ऐसे में महिलाओं को काफी दिक्कत हो रही है। करोल बाग से आईटीओ स्थित अपने ऑफिस आनेवाली अनुराधा कहती हैं कि अगर दिल्ली - पलवल के बीच लेडीज स्पेशल चल सकती है तो पूरी मेट्रो न सही , उसमें एक - दो कंपार्टमेंट तो लेडीज स्पेशल हो ही सकते हैं। महिलाओं के लिए सीटें तो ज्यादा संख्या में रिजर्व होनी ही चाहिए। मेट्रो में सबसे अगले डिब्बे और सबसे पिछले डिब्बे को महिलाओं के लिए रिजर्व किया जा सकता है। कभी - कभार मेट्रो में चलनेवाली महिलाओं को बेशक ज्यादा दिक्कत नहीं होती , लेकिन रोजाना सफर करनेवाली महिलाओं की दिली इच्छा है कि लेडीज स्पेशल कंपार्टमेंट का इंतजाम किया जाए। राजौरी गार्डन स्थित एक शोरूम में काम करनेवाली दीप्ति कुमार का कहना है कि मेट्रो ने सफर बहुत सुविधाजनक कर दिया है , लेकिन कई बार इतनी भीड़ होती है कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं हो सकती हैं। भीड़ की वजह से मेरे हसबैंड सुशील कुमार चाहते हैं कि मैं ऑटो में ही चलूं तो बेहतर है। अगर मेट्रो में हमारे लिए अलग से जगह तय कर दी जाए तो हम ज्यादा महफूज महसूस करेंगे। दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता अनुज दयाल का कहना है कि अभी तक पूरी दुनिया में कहीं भी मेट्रो में लेडीज स्पेशल कंपार्टमेंट नहीं है। फिर भी अगर महिलाओं को वाकई दिक्कत हो रही है और इस बारे में मांग उठी तो इस पर विचार किया जा सकता है। ऐसा तभी मुमकिन होगा , जब तकनीकी तौर पर मेट्रो के संचालन में कोई परेशानी न हो।
Sunday, November 22, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment