Thursday, May 21, 2015

कार्रवाई वेस्टर्न रेलवे के इस्टेट ऑफिसर द्वारा

आपका बच्चा अस्पताल में भर्ती हो और आप उसकी देखभाल में लगे हों, अचानक पता चले कि आपके घर का ताला तोड़कर सामान बाहर फेंक दिया गया है। या फिर बारिश के मौसम में मकान रिपेयर कराने के नाम पर घर की छत तोड़कर खुली छोड़ दी जाए और फिर एक दिन अचानक बिना कोई सूचना दिए आपका सामान बाहर फेंक दिया जाए, तो आप कैसे रिएक्ट करेंगे? लाजमी है गुस्सा आएगा और बेहद आएगा, क्योंकि इस हरकत को बेघर करना कहते हैं। कुछ ऐसी ही कार्रवाई वेस्टर्न रेलवे के इस्टेट ऑफिसर द्वारा की जा रही है। इस अमानवीय कार्रवाई से परेशान महिला ने अपने हाथ की नब्ज काट ली, जबकि दूसरे व्यक्ति को रेलवे से न्याय नहीं मिलने के बाद सिविल कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
12 मई को वेस्टर्न रेलवे डेप्युटी सीएमई के पद पर कार्यरत अधिकारी यशवंत सिंह के घर से सामान बाहर फेंक दिया गया। जिस वक्त ये घटना हुई थी वे दफ्तर में थे और उनकी फैमिली किसी और विंग में। सिंह का कहना है कि बिना कोई नोटिस दिए उनके बंगले से ताला तोड़कर सामान बाहर रखा गया। इस प्रक्रिया में काफी सामान को क्षति भी पहुंची है, जबकि उनके जरूरी कागजात भी गायब हो गए हैं। बांद्रा के कार्टर रोड पर स्थित इस सी-व्यू बंगले में यशवंत सिंह 2009 से रहते हैं। 20 अप्रैल को रेलवे के ही कोर्ट ने बंगला खाली करने का एक ऑर्डर निकाला था, ये आदेश देने का अधिकार इस्टेट ऑफिसर को होता है और यही ऑफिसर एल.एन. राव सीनियर डीईएन भी हैं। यशवंत सिंह के अनुसार, राव खुद उस बंगले में शिफ्ट होना चाहते हैं, इसलिए इस तरह से कार्रवाई हुई है। इस बीच सिंह ने सिविल कोर्ट में रेलवे कोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील भी की थी। इसकी जानकारी सीनियर डीईएन को देने के कुछ दिन बाद ही यह कार्रवाई हो गई।
कुछ महीनों पहले पंजाबी राउत और उनकी पत्नी के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की खबर प्रकाशित की थी। उस वक्त पंजाबी राउत की पत्नी गर्भवती थी जबकि पंजाबी का भावनगर ट्रांसफर कर दिया गया था। खबर प्रकाशित होने के बाद पंजाबी को फिर से चर्चगेट स्थित जनरल डिपार्टमेंट में ट्रांसफर मिला। पंजाबी बांद्रा रेलवे कॉलोनी के जिस घर में रहते हैं उसे खाली करने का नोटिस महीनों पहले मिल चुका है, लेकिन रेलवे की तरफ कोई अन्य व्यवस्था नहीं की गई। पहले भी पंजाबी के घर से सामान फेंका गया था और अब बुधवार को एक बार फिर उनके घर से सामान बाहर फेंका गया है। जिस वक्त ये कार्रवाई हो रही थी उस वक्त पंजाबी और उनकी पत्नी अस्पताल में भर्ती अपने बच्चे की देखभाल कर रहे थे। इस कार्रवाई का पता चलने के बाद सोनाली ने अधिकारियों से गुहार लगाई। इस मामले में रेल मंत्रालय की दखल का भी हवाला दिया, लेकिन फिलहाल उनका घर सील कर दिया गया है। निराश सोनाली राउत ने अपने हाथ की नस काट ली, खबर लिखे जाने तक भाभा अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। जबकि बच्चे की देखभाल अब सोनाली की मां कर रही हैं। पंजाबी के घर पर हुई कार्रवाई भी इस्टेट ऑफिसर के आदेश के बाद हुई है। बांद्रा रेलवे कॉलोनी में रहने वाले एक रहवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हाल ही के दिनों में इस कॉलोनी के 34 मकान खाली कराए गए थे। ये सभी मकान गैर रेलवे कर्मचारियों को किराए पर दिए गए हैं।

'मेरे साथ बहुत ज्यादा अन्याय एवं दुर्व्यवहार किया गया है जो कि नैसर्गिक न्याय के पूर्णत: विरुद्ध है। मेरा लाखों का नुकसान हुआ है। अब मुझे इन लोगों से न्याय की उम्मीद नहीं है, इसलिए  कोर्ट की शरण ली है।'

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