Tuesday, May 19, 2015

उधार से ली गई रकम को सिर्फ उन प्रोजेक्ट्स में ही लगाना चाहता है, जिसमें इसकी कमाई हो

आर्थिक संकट से गुजर रहा रेलवे डिपार्टमेंट अब उधार से ली गई रकम को सिर्फ उन प्रोजेक्ट्स में ही लगाना चाहता है, जिसमें इसकी कमाई हो। इससे यह माना जा रहा है कि अब राजनीतिक फायदे से बनाई जाने वाली रेल परियोजनाओं को तरजीह नहीं दी जाएगी।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने लगभग इसी तरह का संदेश सोमवार को हुई वित्तीय मामलों से जुड़ी नवगठित सलाहकार समिति की पहली बैठक में दिया। उन्होंने बैठक में मौजूद प्रफेशनल्स से अनुरोध किया कि वे रेलवे प्रोजेक्ट्स के रेट ऑफ रिटर्न्स का आकलन प्रफेशनल तरीके से करके रेलवे को बताएं। इस बैठक में आईसीआईसीआई के चेयरमैन के. वी. कामथ, एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य, आईडीएफसी के राजीव लाल और मीडिया कंपनी के फाउंडर राघव बहल भी मौजूद थे। गौरतलब है कि रेल बजट पर चर्चा के दौरान रेलमंत्री ने फाइनैंशल मामलों के लिए एडवाइजरी बोर्ड गठित करने का ऐलान किया था। इसी बोर्ड की बैठक में रेलमंत्री ने प्रफेशनल्स से कहा कि वे रेलवे को इस मामले में मदद करें। दरअसल, रेलवे बजट में अगले पांच साल में रेलवे में 8.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत बताई गई थी। इनमें से डेढ़ लाख करोड़ रुपये एलआईसी ने रेलवे को देने का वादा किया है।

रेलमंत्री का मानना है कि कर्ज से ली गई राशि का फूंक-फूंक कर इस्तेमाल होना चाहिए और यह रकम उन प्रोजेक्ट्स में ही लगाई जाए, जहां से रेलवे को कमाई भी हो ताकि बाद में कर्ज को चुकता किया जा सके। रेलवे की चिंता यह भी है कि अगर कर्ज चुकता नहीं हो सका, तो उससे रेलवे और बड़े संकट में फंस जाएगी। इसी वजह से रेलवे का मानना है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाया जाए, जहां से वाकई उसे आमदनी हो। रेलवे अब नहीं चाहता कि राजनीतिक मकसद से या वोटों की राजनीति से प्रेरित होकर किसी प्रोजेक्ट में पैसा लगा दिया जाए और बाद में आमदनी न होने से कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाए।

No comments: