भारतीय रेल में सब कुछ संभव है। बुकिंग खुलने
के एक ही मिनट में हजारों की वेटिंग,
या गाड़ी छूटने के पांच मिनट पहले कन्फर्म सीट। कुल मिलाकर मसला सीट
का ही है। जो रेलवे सीट कभीकभार नेताओं की कुर्सियों से भी बड़ी हो जाती है,
जिस सीट की बुकिंग के लिए सालभर मारामारी होती है, वही सीट कुत्तों को अलॉट कर दी जाए, तब आप क्या
कहेंगे।
सेंट्रल रेलवे पर सरकारी पास का इस्तेमाल कर आरपीएफ ने एसी कोच में कुत्तों के लिए सीटें बुक कराई हैं। 23 जुलाई को आरपीएफ ने अपने स्क्वॉड के कुत्तों को मीरज जंक्शन से मुंबई लाने के लिए ए.सी. टू टियर में बाकायदा सीट बुक कराई। इन टिकटों की बुकिंग 19 जुलाई को दादर से खिड़की क्रमांक-2 से सुबह 8:02 मिनट पर कराई गई। इन टिकटों के लिए पैसे नहीं दिए गए थे।
सेंट्रल रेलवे पर सरकारी पास का इस्तेमाल कर आरपीएफ ने एसी कोच में कुत्तों के लिए सीटें बुक कराई हैं। 23 जुलाई को आरपीएफ ने अपने स्क्वॉड के कुत्तों को मीरज जंक्शन से मुंबई लाने के लिए ए.सी. टू टियर में बाकायदा सीट बुक कराई। इन टिकटों की बुकिंग 19 जुलाई को दादर से खिड़की क्रमांक-2 से सुबह 8:02 मिनट पर कराई गई। इन टिकटों के लिए पैसे नहीं दिए गए थे।
आमतौर
पर कुत्तों को रेलवे से लाया जाता है, लेकिन इसके कुछ नियम है। रेलवे के एक
अधिकारी के अनुसार कुत्तों को डॉग बॉक्स में डालकर लगेज कोच से सटे ब्रेक यान से
लाना पड़ता है, लेकिन इस तरह कुत्तों को लाने के लिए उसके
मालिक को भी कुत्ते की देखभाल के लिए ब्रेक यान में ही यात्रा करनी पड़ती है।
ब्रेक यान की यात्रा न तो वातानुकूलित होती है, और न ही
आरामदेह।
कुत्तों को वातानुकूलित स्लीपर कोच, वातानुकूलित कुर्सीयान कोच, स्लीपर श्रेणी या द्वितीय श्रेणी कोच में ले जाने की अनुमति नहीं है। इस नियम का उल्लघंन करके कुत्ता ले जाते हुए पकड़े जाने पर उसे तत्काल ब्रेक-यान में पहुंचा दिया जाता है, और लगेज स्केल दर का 6 गुना प्रभार, जो न्यूनतम 50/- रु. होता है, वसूला जाता है।
कुत्तों को वातानुकूलित स्लीपर कोच, वातानुकूलित कुर्सीयान कोच, स्लीपर श्रेणी या द्वितीय श्रेणी कोच में ले जाने की अनुमति नहीं है। इस नियम का उल्लघंन करके कुत्ता ले जाते हुए पकड़े जाने पर उसे तत्काल ब्रेक-यान में पहुंचा दिया जाता है, और लगेज स्केल दर का 6 गुना प्रभार, जो न्यूनतम 50/- रु. होता है, वसूला जाता है।
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