Thursday, January 29, 2015

संभवत: हर बार की तरह रेल बजट में दर्जनों की तादाद में नई ट्रेनों की घोषणा शायद न हो

एलपीजी सिलिंडर की तर्ज पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सबअर्बन यात्रियों को उनके मासिक सीजनल टिकट ( एमएसटी) का पैसा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। अगर यह प्रस्ताव मान लिया गया तो गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को मिलने वाली 50 फीसदी छूट सीधे उनके खाते में जाएगी। मासिक टिकट बनवाते वक्त उन्हें पूरा पैसा रेलवे के पास जमा करना होगा।
इंडियन रेलवे के सूत्रों के अनुसार रेल बजट में रेलमंत्री इस आशय का ऐलान कर सकते हैं। दरअसल इस तरह का सुझाव डी.के. मित्तल कमिटी ने दिया है। कमिटी का कहना है कि अभी रेलवे गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को सस्ती दर पर मासिक टिकट जारी करता है, लेकिन इससे यह सुनिश्चित नहीं हो पाता कि वाकई गरीब लोगों को पूरी मदद मिल रही है। ऐसे में इसे आधार कार्ड से जोड़ा जाए। इस स्कीम के तहत बीपीएल लोगों को 100 किमी तक सफर के लिए महज 25 रुपये अदा करने होते हैं। 
रेलवे सूत्रों का कहना है कि इस योजना के लागू होने पर रेलवे पर सब अर्बन ट्रेनों का किराया न बढ़ाने का दबाव नहीं होगा। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे बोर्ड में अब इस सिफारिश पर विचार हो रहा है। इसका फायदा यह होगा कि रेलवे सुनिश्चित कर सकेगी कि जिन लोगों को छूट देने की योजना बनी थी, उन्हें ही इसका फायदा मिले। मित्तल कमिटी ने रेलवे को यह भी सुझाव दिया कि वह शहरों में खुद मेट्रो बनाने से बचे। यह मेट्रो पीपीपी मॉडल पर बनें या फिर दिल्ली मेट्रो के मॉडल पर यानी केंद्र और राज्य की बराबर की हिस्सेदारी के आधार पर। 
रेलवे सूत्रों का कहना है कि कमिटी ने यह भी सिफारिश की है कि सबअर्बन क्षेत्र में 25 से 30 फीसदी रेवेन्यू नॉन टैरिफ क्षेत्र यानी किराए के अलावा अन्य क्षेत्रों से आना चाहिए। इसके लिए सब अर्बन क्षेत्रों के स्टेशनों आदि में रियल इस्टेट और विज्ञापनों आदि से जुटाना चाहिए। 
इंडियन रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इस बार संभवत: हर बार की तरह रेल बजट में दर्जनों की तादाद में नई ट्रेनों की घोषणा शायद न हो। इसकी वजह यह है कि इस बार रेलमंत्री सांसदों की जगह जनता से भी सीधे सुझाव मांग रहे हैं। माना जा रहा है कि लोकलुभावन घोषणा की जगह रेलमंत्री ठोस घोषणाएं कर सकते हैं। नई ट्रेन के नाम पर किसान एक्सप्रेस को शुरू किया जा सकता है। किसान एक्सप्रेस का मकसद दूरदराज के इलाकों से सब्जियां और फल शहरों तक पहुंचाने की है। महात्मा गांधी के नाम पर भी ट्रेन का आगाज किया जा सकता है, लेकिन इस बार अंधाधुंध ट्रेनों के ऐलान से शायद रेलमंत्री बचेंगे।

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