Sunday, December 13, 2009

जीआरपी के सिपाही असल में खुद मुसाफिरों को लूट रहे थे।

ट्रेन लूट को बचाने के लिए फायरिंग करने का दावा करने वाले जीआरपी के सिपाही असल में खुद मुसाफिरों को लूट रहे थे। यह जानकारी पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच के बाद सामने आई है। इससे पहले कहा गया था कि लखीसराय जिले में जमालपुर-कियूल डीएमयू ट्रेन को धनौरी स्टेशन पर लूटने की कोशिश हुई। जिसे जीआरपी ने फायरिंग करके नाकाम कर दिया। इस गोलीबारी में एक विक्रेता गंभीर रूप से घायल हो गया था। मुख्यमंत्री के आदेश पर आईजी (रेलवे) एस. के. भारद्वाज मौके पर पहुंचे और स्थानीय पुलिस से मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद ही असल तस्वीर सामने आई। नतीजतन, सभी 6 जीआरपी कर्मियों की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए हैं। इनमें एक सब इंस्पेक्टर, एक हवलदार और चार कॉन्स्टेबल शामिल हैं। भारद्वाज ने बताया कि जीआरपी के लोगों ने ट्रेन में सफर कर रहे एक व्यापारी से जबरन वसूली की कोशिश की, जिसका उसने विरोध किया। बाकी मुसाफिरों ने भी न केवल विरोध किया बल्कि उन्होंने अपने फोन से अपने परिचितों को मामले की जानकारी दे दी। जब ट्रेन धनौरी स्टेशन पर पहुंची तो जीआरपी कर्मियों को प्लेटफार्म पर नाराज भीड़ का सामना करना पड़ा। भीड़ द्वारा पिटाई के डर से उन्होंने फायरिंग कर दी। इसी फायरिंग में वेंडर राकेश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गया। राकेश पास के ही पवई गांव का रहने वाला है। इससे भीड़ और भड़क गई। राकेश को पटना मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है जहां उसका ऑपरेशन किया गया है।

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