Sunday, December 20, 2009

ट्रेनें परफॉर्मिंग आर्ट के जरिए राष्ट्रीय एकता की भावना को देशभर में पहुंचाने का जरिया बनें।

ममता बनर्जी रेलों को बहुआयामी बनाना चाहती हैं। उनकी मंशा है कि ट्रेनें लोगों को उनके गंतव्य तक तो पहुंचाएं ही, साथ ही एक इलाके की संस्कृति का दूसरे इलाके की संस्कृति से संगम भी कराएं। कलाप्रेमी ममता चाहती हैं कि भारतीय रेलों के डिब्बे आधुनिक तकनीक, खूबसूरती, आरामदेह डिजाइन के साथ-साथ भारतीयता के पुट का सुंदर मिश्रण हों। अपने विजन-2020 डॉक्युमेंट में उन्होंने विशेष जोर दिया है कि आने वाले समय में ट्रेनें परफॉर्मिंग आर्ट के जरिए राष्ट्रीय एकता की भावना को देशभर में पहुंचाने का जरिया बनें। इसके लिए उन्होंने संस्कृति एक्सप्रेस और चलते-फिरते आर्ट म्यूजियम के रूप में विशेष गाड़ियां चलाने की बात कही है। उन्होंने सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों के रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और विस्तार की भी बात कही है। विशेष अवसरों पर सभी धर्मों के तीर्थस्थलों के लिए विशेष गाड़ियां चलाने का भी ऐलान किया है। ममता की मंशा है कि ट्रेनें सिर्फ सवारी ही न ढोएं बल्कि बैंकिंग, कॉन्फ्रेंसिंग और आईटी संबंधी सुविधाओं से सुसज्जित होकर सचल व्यापार और विद्या केंद्र के रूप में भी चले। उन्होंने ऐलान किया है कि अगले दो साल में राजधानी और दूसरी सुपर फास्ट ट्रेनों में ये सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। ट्रेनों को सचल स्वास्थ्य केंद्र के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा। रेल मंत्र का मकसद है कि पैसेंजरों को कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले। किसी भी श्रेणी का टिकट लेने के लिए उसे पांच मिनट से ज्यादा इंतजार न करना पड़े। उन्होंने नए शहरों में मेट्रो ट्रेन सेवा शुरू करने की बात भी कही है। ममता का मानना है कि ऐसी परियोजनाओं को कम लागत के साथ पूरा करने में भारतीय रेल पूरी तरह सक्षम है। इसके लिए उन्होंने अलग से भारतीय रेल मेट्रो विकास प्राधिकरण के गठन का भी सुझाव दिया है। यही प्राधिकरण लाइट रेल और मोनो रेल परियोजनाओं का भी निर्माण करेगा।

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