Tuesday, May 10, 2011

दुपहिया वाहन मेट्रो की पार्किंग में खड़ा करते हैं और फिर वहां से मेट्रो पकड़कर रवाना हो जाते

लगभग एक दशक पहले तक शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि दिल्ली के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में मोड़ आएगा, जो कार में सफर करने वालों से कार को मोह भी छुड़ा ले। लेकिन दिल्ली मेट्रो ने यह कर दिखाया है। दरअसल, ऐसे बदलाव के लिए जहां दिल्ली के ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या को क्रेडिट जाता है, वहीं इसके लिए मेट्रो के कम्फर्ट और नियमित सर्विस ने भी लोगों को अपनी ओर आकषिर्त किया है।

दिल्ली में न सिर्फ बिजनेसमैन बल्कि ऐसे नौकरीपेशा लोगों की कमी नहीं है, जो अब घर से रवाना तो कार में होते हैं लेकिन अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचते मेट्रो से हैं। ऐसे लोग अपनी कारें या फिर दुपहिया वाहन मेट्रो की पार्किंग में खड़ा करते हैं और फिर वहां से मेट्रो पकड़कर रवाना हो जाते हैं। दरअसल, मेट्रो की इस पार्किंग की प्लानिंग ने भी लोगों की आदत बदलने में अहम भूमिका निभाई है। इस वक्त दिल्ली और एनसीआर में मेट्रो के जिन स्टेशनों पर पार्किंग का इंतजाम है, वहां लगभग 75,000 कारें या इसके बराबर दुपहिया वाहन खड़े हो सकते हैं। अगर इन कारों की जगह दुपहिया हों तो उनकी तादाद और भी ज्यादा है।

जनकपुरी में रहने वाले अरविंद मिश्रा का कहना है कि मेट्रो की पार्किंग की यह सुविधा पार्क एंड राइड की तरह ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि मेट्रो में पार्किंग और मेट्रो के सफर का भाड़ा देना पड़ता है। उनका कहना है कि अगर पार्किंग सुविधा नहीं होती तो शायद कार या दुपहिया के लोग मेट्रो में शिफ्ट नहीं होते। इसकी वजह यह है कि जिन लोगों के घर मेट्रो स्टेशन से चार-पांच किमी भी दूर हैं तो वे शायद मेट्रो को नजरंदाज करते, क्योंकि उन्हें पहले मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने के लिए साधन खोजना पड़ता। मिश्रा के मुताबिक उनका घर भी मेट्रो के जनकपुरी (वेस्ट) स्टेशन से लगभग 3.5 किमी की दूरी पर है। ऐसे में उन्हें कोई दिक्कत नहीं। वह पंखा रोड से जनकपुरी वेस्ट पहुंचते हैं और वहां से नोएडा के लिए ट्रेन पकड़कर ऑफिस पहुंच जाते हैं। लेकिन अगर पाकिर्ंग की सुविधा नहीं होती तो शायद वे मेट्रो के बजाय कार से ही अपने डेस्टिनेशन तक जाना पसंद करते।

खुद दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के सीनियर अफसर भी मानते हैं कि मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग उनकी योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है और आगे भी रहेगा। दिल्ली मेट्रो के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनुज दयाल का कहना है कि जब मेट्रो की प्लानिंग की गई थी, उस वक्त भी इस मसले पर सोचा गया था और तय किया गया था कि जिन स्टेशनों पर भी मुमकिन हो, पार्किंग सुविधा दी जाए। इसकी वजह यह थी कि उसी वक्त ही सोच लिया गया था कि अगर सड़कों से प्राइवेट वाहनों को कम करना है तो इसके लिए पार्किंग की सुविधा भी दी जाए। जिस तरह से मेट्रो स्टेशनों पर पाकिर्ंग में हमेशा वाहन भरे रहते हैं, उससे साफ है कि यह प्लानिंग बेहद कामयाब रही है और इसकी वजह से ही कार और दुपहिया वाहन वाले मेट्रो में सफर के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।

यही नहीं, दिल्ली मेट्रो अब थर्ड फेज में भी इस दिशा में काम कर रही है और उसकी कोशिश होगी कि जिन स्टेशनों पर जमीन उपलब्ध हो, वहां पार्किंग की सुविधा दी जाए। इसका फायदा यह होता है कि मेट्रो लाइन से 4-5 किमी की दूरी पर रहने वाले लोग भी मेट्रो तक पहुंच सकते हैं। हालांकि कई जगह रोड ट्रांसपोर्ट है लेकिन कई लोग उसमें सफर करने के बजाय अपना ही वाहन इस्तेमाल करना चाहते हैं। ऐसे लोग मेट्रो स्टेशन तक वाहन लाकर मेट्रो का उपयोग करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के ऊपर बहुमंजिला पार्किंग बनाई जा रही है। इस वक्त दिल्ली मेट्रो के स्टेशनों पर सबसे बड़ी पार्किंग पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर है और जल्द ही कुछ और स्टेशनों पर पार्किंग का विस्तार किया जाना है।

No comments: