Friday, February 5, 2016

रेलवे सूचना प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल



ट्रेन हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे सूचना प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने जा रहा है। 25 फरवरी को 2016-17 के रेल बजट में इसका रोडमैप जारी किया जा सकता है। आमदनी बढ़ाने के लिए रेल बजट का जोर स्टेशन विकास और विज्ञापन जैसे गैर-परंपरागत स्रोतों को टटोलने पर रहेगा।
चुनिंदा पत्रकारों के साथ खास चर्चा में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि जापान के साथ हाईस्पीड ट्रेन के अतिरिक्त दो और समझौते भी हुए हैं।
इनमें ट्रैक व रोलिंग स्टॉक (लोको, कोच व वैगन) का रखरखाव, प्रबंधन और सुरक्षा के साथ निर्बाध ट्रेन संचालन के लिए आवश्यक उपकरणों तथा प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षण शामिल हैं। इनमें बड़े पैमाने पर सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा।
प्रभु के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से जापान रेलवे सबसे सुरक्षित बन सका है। उन्होंने कहा कि आईटी में भारत की स्थिति काफी मजबूत है। अपनी रेल को सुरक्षित बनाने में हम भी इसका उपयोग करेंगे।
रेल बजट पर प्रभु ने कोई चर्चा नहीं की। माना जाता है कि वह कुछ ऐसे प्रस्ताव लाने वाले हैं जिनमें क्रासिंग के अलावा ट्रैक टूटने, पटरी से ट्रेन उतरने तथा आपस में टकराने जैसे हादसों पर अंकुश लगाने में इंटरनेट व मोबाइल तकनीक का व्यापक उपयोग शामिल होगा।
उदाहरण के लिए रेलवे क्रासिंग के आसपास के मोबाइल धारकों को एसएमएस से ट्रेन आने का अलर्ट भेजने का प्रस्ताव रेल बजट में आ सकता है। इससे क्रासिंग पर हादसे को रोकना संभव होगा। चौकीदार वाले क्रासिंग पर चौकीदार के पास भी संदेश पहुंचेगा और वह गेट बंद कर सकेगा। जहां चौकीदार नहीं है वहां अलर्ट भेजने के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से हूटर बजाया जाएगा।
इसके अतिरिक्त ट्रैक दरकने, टूटने या अवरोध होने, इंजन, वैगन या कोच में किसी तरह की खराबी की पूर्व सूचना कंट्रोल से लेकर गैंगमैन तक पहुंचाने में भी आईटी की सहायता ली जाएगी। रेलकर्मियों के मोबाइल पर न केवल समस्या का अलर्ट मिलेगा, बल्कि वह किस जगह पर है इसकी सटीक जानकारी जीपीएस से मिलेगी। समय रहते कदम उठाकर हादसों को टाला जा सकेगा। इसके लिए ट्रेन संचालन और उससे जुड़ी तमाम प्रणालियों का आईटी प्रणालियों के साथ एकीकरण किया जा रहा है।
संसाधनों की कमी के बारे में प्रभु ने कहा कि हमारा जोर किराया-भाड़ा बढ़ाने के बजाय भूमि और स्टेशन विकास, विज्ञापन और प्रचार जैसे गैर परंपरागत स्रोतों से धन जुटाने पर है।
चार सौ स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है। जबकि स्टेशनों व ट्रेनों में विज्ञापन से आय बढ़ाने में सूचना प्रौद्योगिकी की मदद ली जा रही है।

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