मुंबई में हर साल
रेलवे ट्रैक पर होने वाली मौतों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं, लेकिन मरने
वालों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। रेलवे पुलिस से प्राप्त आंकड़ों
के मुताबिक 2011 के मुकाबले 2012 में
ट्रैक पर मौत के शिकार हुए लोगों की संख्या ज्यादा में वृद्धि हुई है। 2012 में
वेस्टर्न और सेंट्रल पर सर्विस की संख्या बढ़ाने, कोच की
संख्या बढ़ाने के बावजूद ओवर क्राउडिंग से होने वाली मौतों के आंकड़े में कमी नहीं
आई है। 2011 में 736 लोगों की मौत
ट्रेन से गिरकर हुई, जबकि 2012 में यह
आंकड़ा 834 तक पहुंच गया। ट्रेन से गिरकर मरने वाले हादसे
सबसे ज्यादा कुर्ला में होते हैं, पिछले साल कुर्ला में 128
लोगों की मौत ट्रेन से गिरकर हुई।
मुंबई सबर्बन रेल नेटवर्क पर सबसे ज्यादा मौत कुर्ला और कल्याण स्टेशन पर होती है। पिछले साल इन दोनों स्टेशनों पर मरने अलग-अलग हादसों में मौत के शिकार हुए लोगों की कुल संख्या 888 थी। 2011 में इन दोनों स्टेशनों पर हादसे का शिकार हुए लोगों की संख्या थी 867। रेल की पटरी पार करने का मतलब मौत को गले लगाना है, ये बात जानते हुए भी लोग इसके प्रति गंभीर नहीं है। इस विषय पर समीक्षा करने पर कई कारण सामने आते हैं, आरोप-प्रत्यारोप होते हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति कान में इयरफोन डालकर पटरी पर चलता है या स्लो प्लैटफॉर्म से उतरकर फास्ट ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी करता है तो कारण स्पष्ट हो जाने चाहिए। 2011 में ट्रैस पासिंग करने की वजह से 2,023 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2012 में 1979। ट्रैक पर हादसे का शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या ट्रैस पासिंग करने वालों की होती है
मुंबई सबर्बन रेल नेटवर्क पर सबसे ज्यादा मौत कुर्ला और कल्याण स्टेशन पर होती है। पिछले साल इन दोनों स्टेशनों पर मरने अलग-अलग हादसों में मौत के शिकार हुए लोगों की कुल संख्या 888 थी। 2011 में इन दोनों स्टेशनों पर हादसे का शिकार हुए लोगों की संख्या थी 867। रेल की पटरी पार करने का मतलब मौत को गले लगाना है, ये बात जानते हुए भी लोग इसके प्रति गंभीर नहीं है। इस विषय पर समीक्षा करने पर कई कारण सामने आते हैं, आरोप-प्रत्यारोप होते हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति कान में इयरफोन डालकर पटरी पर चलता है या स्लो प्लैटफॉर्म से उतरकर फास्ट ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी करता है तो कारण स्पष्ट हो जाने चाहिए। 2011 में ट्रैस पासिंग करने की वजह से 2,023 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2012 में 1979। ट्रैक पर हादसे का शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या ट्रैस पासिंग करने वालों की होती है
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