महंगाई के इस दौर में रेलवे की आमदनी घटती जा रही है, लेकिन उसके खर्चों में काफी इजाफा हो रहा है। रेलवे के अनुसार विभाग की आमदनी एक रुपये है, लेकिन खर्च 1.34 पैसे आ रहा है। रेलवे फिलहाल घाटे में हैं। इस हालात में यात्री सुविधाओं को ठीक ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। अफसर खर्च कम करने की युक्ति ढूंढ रहे हैं, ताकि रेलवे पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सके। यूपी के नॉर्दर्न रेलवे लखनऊ डिविजन की बैठक में डीआरएम जीएस सोंधी ने यह आंकड़ा पेश किया। उन्होंने बताया कि रेलवे की आमदनी घटी है, वहीं सिक्स पे कमिशन लागू होने के बाद खर्च बढ़ता जा रहा है। ऐसे में खर्चों को कम करके ही स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बैठक में नॉर्दर्न रेलवे मैंस यूनियन, आरपीएफ असोसिएशन एवं रेलवे प्रमोटी ऑफिसर्स असोसिएशन ने भी विचार रखे। इस मौके पर एनआरएमयू के डिविजनल सेक्रेटरी आर. के. पांडेय ने सुझाव दिया कि रेलवे के विज्ञापन प्रदर्शित करने और खाली पड़ी जमीन को लीज पर उठाकर आमदनी बढ़ाई जा सकती है। इससे खर्च का अंतर कुछ हद तक कम हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य मुद्दे भी उठाए। इस अवसर पर एसी क्लास में यात्रियों को दी जाने वाली बेडशीट की धुलाई करने वाली एजेंसी के लाखों रुपये बकाया होने समेत कई मामले भी बैठक में सामने आए, जिन पर डीआरएम ने आश्वासन दिया कि एजेंसियों को भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा आरपीएफ असोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने जवानों को सुविधाएं न के बराबर मिलने की बात भी उठाई। प्रमोटी ऑफिसर्स असोसिएशन ने भी कई मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। हालांकि बैठक में खर्च कम करने पर अधिक जोर दिया गया। डिविजनल रेलवे के अफसरों का कहना है कि खर्च अधिक होने से विकास कार्य में रुकावट आ रही है। साथ ही यात्री सुविधाओं की उस हिसाब से प्रगति नहीं हो पा रहा है, जितनी तेजी से सुविधाओं का विकास होना चाहिए। इसके लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है।
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