ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड ऑफिस (एसएफओ) ने
इंजीनियरिंग कंपनी ऐल्सटम नेटवर्क यूके लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली मेट्रो रेल
कॉरपोरेशन के अधिकारियों को 30 लाख यूरो (24 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने का मामला
दर्ज किया है।
इस मामले में 6 अक्टूबर को साउथवॉर्क क्राउन कोर्ट में सुनवाई होगी। कंपनी के खिलाफ कुछ छह आरोप लगाए गए हैं जिनमें दो डीएमआरसी कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े हैं। बाकी चार मामले पोलैंड और ट्यूनिशिया के हैं।
इस मामले में 6 अक्टूबर को साउथवॉर्क क्राउन कोर्ट में सुनवाई होगी। कंपनी के खिलाफ कुछ छह आरोप लगाए गए हैं जिनमें दो डीएमआरसी कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े हैं। बाकी चार मामले पोलैंड और ट्यूनिशिया के हैं।
एसएफओ
का आरोप है कि मेट्रो से ठेके पाने के लिए ऐल्सटम के कुछ निदेशकों ने 1 अगस्त 2000 से 9 अगस्त 2006 के बीच रिश्वत
दी या देने का वादा किया। चार्जशीट में दो ऐसे वाकयों का जिक्र किया गया है जब
रिश्वत दी गई। पुलिस के मुताबिक, '12 सितंबर 2001 को इंडो यूरोपियन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड से कंसल्टेंसी अग्रीमेंट के
नाम पर एक करोड 98 लाख 95 हजार रुपये
दिए गए। 3 मई 2002 को ग्लोबल किंग
टेक्नॉलजी लिमिटेड से कंसल्टेंसी अग्रीमेंट के नाम पर करीब 31 लाख यूरो दिए गए।'
हिंदुस्तान टाइम्स अखबार की खबर के मुताबिक भारत के शहरी विकास मंत्रालय को ऐसे किसी आरोप के बारे में नहीं पता है। एक अधिकारी ने अखबार को बताया, 'हमें नहीं पता है कि ऐल्सटम पर मेट्रो अधिकारियों को रिश्तव देने के आरोप लगे हैं। अभी कोई सूचना हमें नहीं दी गई है। जब हमें गृह मंत्रालय या सीबीआई से लिखित में कुछ मिलेगा तो हम कार्रवाई करेंगे।'
डीएमआरसी ने भी इस बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया।
हिंदुस्तान टाइम्स अखबार की खबर के मुताबिक भारत के शहरी विकास मंत्रालय को ऐसे किसी आरोप के बारे में नहीं पता है। एक अधिकारी ने अखबार को बताया, 'हमें नहीं पता है कि ऐल्सटम पर मेट्रो अधिकारियों को रिश्तव देने के आरोप लगे हैं। अभी कोई सूचना हमें नहीं दी गई है। जब हमें गृह मंत्रालय या सीबीआई से लिखित में कुछ मिलेगा तो हम कार्रवाई करेंगे।'
डीएमआरसी ने भी इस बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया।
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